गुरुवार, 30 जनवरी 2025

लेखकों के लिए बड़ी खबर: साहित्य अकादमी ने पहली बार पुरस्कार चयन के लिए खोले सीधे दरवाजे

साहित्य अकादमी पुरस्कार 2025: चयन प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव, पहली बार प्रत्यक्ष आमंत्रण

भारत के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार 2025 की चयन प्रक्रिया में इस वर्ष एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। पहली बार, साहित्य अकादमी ने लेखकों, प्रकाशकों और शुभचिंतकों से सीधे पुस्तकें आमंत्रित करने की घोषणा की है। यह कदम साहित्यिक क्षेत्र में पारदर्शिता और व्यापक भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।

अब तक साहित्य अकादमी पुरस्कारों के लिए पुस्तकों का चयन विभिन्न समितियों और विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर किया जाता था। लेकिन इस वर्ष से, लेखक स्वयं, उनके प्रकाशक या शुभचिंतक अपनी पुस्तकों को सीधे साहित्य अकादमी को भेज सकते हैं। यह निर्णय भारतीय साहित्य को अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त 24 भारतीय भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों को इस चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। इसके लिए 1 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2023 के बीच प्रकाशित पुस्तकों को 28 फरवरी 2025 तक जमा करना होगा। इच्छुक लेखक और प्रकाशक साहित्य अकादमी की आधिकारिक वेबसाइट (www.sahitya-akademi.gov.in) से आवेदन पत्र डाउनलोड कर सकते हैं और उसे भरकर अपनी पुस्तक के साथ जमा कर सकते हैं।

साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने जानकारी दी कि इस नई प्रणाली की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए देशभर के प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किए गए हैं। इसका उद्देश्य लेखकों और प्रकाशकों को इस प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित करना है।

इस बदलाव से भारतीय साहित्य में एक नई क्रांति आने की संभावना है। यह न केवल नए और उभरते लेखकों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक होगा, बल्कि चयन प्रक्रिया को भी अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और व्यापक बनाएगा। यह पहल सुनिश्चित करेगी कि साहित्य अकादमी पुरस्कार केवल कुछ चुने हुए लोगों तक सीमित न रहे, बल्कि देशभर के लेखकों को समान अवसर मिले।

यदि आपने भी 2019 से 2023 के बीच कोई साहित्यिक पुस्तक लिखी है, तो यह आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। 28 फरवरी 2025 तक आवेदन अवश्य करें और अपनी पुस्तक को भारत के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान के लिए प्रस्तुत करें।


बुधवार, 29 जनवरी 2025

हैदराबाद विश्वविद्यालय में फैकल्टी पदों के लिए भर्ती अधिसूचना 2025


हैदराबाद विश्वविद्यालय में शैक्षणिक पदों के   लिए बम्पर भर्ती

 

हैदराबाद विश्वविद्यालय, जो कि एक प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालय है और जिसे 1974 में संसद के एक अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था, ने विभिन्न फैकल्टी (शिक्षण) पदों के लिए भर्ती अधिसूचना जारी की है। यह भर्ती प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए है, और इसमें कुल 40 पद उपलब्ध हैं।
भर्ती प्रक्रिया और महत्वपूर्ण तिथियां

अधिसूचना जारी होने की तिथि: 20 जनवरी 2025

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 20 फरवरी 2025, शाम 5:30 बजे

हार्डकॉपी जमा करने की अंतिम तिथि: 24 फरवरी 2025

आवेदन प्रक्रिया

इच्छुक उम्मीदवारों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र और अन्य जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक देखें:

अधिसूचना एवं अपडेट के लिए वेबसाइट: https://uohyd.ac.in/carees-uoh/

ऑनलाइन आवेदन लिंक: https://curec.samarth.ac.in

डाक द्वारा आवेदन भेजने का पता

सहायक रजिस्ट्रार,

भर्ती प्रकोष्ठ, कमरा संख्या 221, प्रथम तल,

प्रशासन भवन, हैदराबाद विश्वविद्यालय,

प्रो. सी.आर. राव रोड, गाचीबोवली, हैदराबाद - 500 046, तेलंगाना, भारत।

(नोट: आवेदन की हार्डकॉपी व्यक्तिगत रूप से जमा नहीं की जा सकती, इसे केवल डाक/कूरियर के माध्यम से भेजा जा सकता है।)

महत्वपूर्ण निर्देश

1. यह भर्ती केवल भारतीय नागरिकों और OCI (Overseas Citizens of India) के लिए खुली है।

2. चयन प्रक्रिया प्रत्यक्ष भर्ती (Direct Recruitment) के माध्यम से होगी।

3. उम्मीदवारों को सभी आवश्यक दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों को अपलोड करना होगा एवं हार्डकॉपी नियत समय में भेजनी होगी।

हैदराबाद विश्वविद्यालय में शिक्षण पदों के लिए यह एक शानदार अवसर है। यदि आप शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं, तो समय रहते आवेदन करें और अपनी योग्यता के अनुसार सही पद के लिए आवेदन करने का मौका न गंवाएं।

अधिक जानकारी के लिए विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: https://uohyd.ac.in


सफलता और आत्मविकास में आर्ट ऑफ लिविंग की भूमिका



आर्ट ऑफ लिविंग (Art of living) और सफलता के सिद्धांत - एक व्यापक दृष्टिकोण

हमारे जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सफलता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति और संतुलन को भी प्राप्त करना है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग एक प्रभावी तरीका हो सकता है। यह एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है जिसमें ध्यान, प्राणायाम, योग, और सकारात्मक सोच के माध्यम से हम न केवल अपने शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि अपनी मानसिक स्थिति को भी संतुलित और शांत रख सकते हैं।
आधुनिक जीवन में जहां तनाव और दौड़-भाग की स्थिति लगातार बढ़ रही है, आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांत हमारे जीवन को एक नई दिशा देने का कार्य करते हैं। इस लेख में हम इस सिद्धांत के माध्यम से सफलता प्राप्त करने के तरीकों को जानेंगे, साथ ही हम कुछ प्रसिद्ध व्यक्तियों के अनुभवों का विश्लेषण करेंगे जो इन्हीं सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाकर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं।

आर्ट ऑफ लिविंग - 

आर्ट ऑफ लिविंग एक आध्यात्मिक और मानसिक शांति की खोज है। यह सिद्धांत श्री श्री रविशंकर द्वारा विकसित किया गया है और यह मानव जीवन के हर पहलू को संतुलित करने के लिए ध्यान, योग, प्राणायाम, और सकारात्मक सोच का उपयोग करता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए काम करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्थिति को भी नियंत्रित करता है।


सफलता की परिभाषा - केवल भौतिक नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक सफलता

आम तौर पर सफलता का मतलब केवल भौतिक संपत्ति और शक्ति प्राप्त करना होता है, लेकिन आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांतों के अनुसार, सफलता की असली परिभाषा मानसिक और आत्मिक शांति में निहित है। केवल भौतिक सफलता से संतुष्टि नहीं मिलती; असली सफलता तब प्राप्त होती है जब हम आत्म-संतुष्टि और मानसिक शांति को महसूस करते हैं।

मानसिक सफलता का मतलब है अपने मन को नियंत्रित करना, नकारात्मक विचारों से बचना, और किसी भी स्थिति में शांति बनाए रखना। यह स्थिति आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांतों के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। आत्मिक सफलता आत्म-बोध और जीवन के उद्देश्य की पहचान करने में है। यह तब प्राप्त होती है जब हम अपने जीवन के उद्देश्य को पहचानते हैं और उस दिशा में कार्य करते हैं, जिससे हमें संतुष्टि और शांति मिलती है।

आत्मविकास क्यों जरूरी है?
व्यक्तिगत, सामाजिक और प्रोफेशनल जीवन में इसकी भूमिका-

आत्मविकास जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। अगर व्यक्ति अपने आत्मिक और मानसिक स्वास्थ्य पर काम नहीं करता, तो वह न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में समस्याओं का सामना करेगा, बल्कि उसके सामाजिक और प्रोफेशनल जीवन पर भी इसका असर पड़ेगा।

व्यक्तिगत जीवन में आत्मविकास से हमारा उद्देश्य अपनी सीमाओं को पहचानना और उन्हें पार करना होता है। यह न केवल हमारी कमजोरियों को दूर करता है, बल्कि हमें आत्मविश्वास और आत्मसम्मान भी देता है। सामाजिक जीवन में आत्मविकास से हमें अपने रिश्तों को बेहतर बनाने और दूसरों के साथ सहानुभूति रखने में मदद मिलती है। प्रोफेशनल जीवन में आत्मविकास से हम अधिक उत्पादक और प्रेरित रहते हैं। यह हमारी सोच को सकारात्मक बनाता है और कार्यक्षमता में वृद्धि करता है।

आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांत - ध्यान, प्राणायाम, योग, सकारात्मक सोच

इन सिद्धांतों का पालन करने से व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। ध्यान और प्राणायाम से शांति मिलती है, योग से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और सकारात्मक सोच से जीवन की दिशा बदल सकती है।


ध्यान से व्यक्ति अपनी मानसिक स्थिति को नियंत्रित करता है। यह उसके विचारों को साफ करता है और तनाव को कम करता है। प्राणायाम के माध्यम से श्वसन प्रणाली को नियंत्रित किया जाता है, जिससे शारीरिक ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। योग से शारीरिक और मानसिक स्थिति का संतुलन बनता है। यह शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है। सकारात्मक  जीवन में संघर्षों से उबरने और सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।

मनःशांति और फोकस -
आर्ट ऑफ लिविंग से ध्यान और एकाग्रता कैसे बढ़ती है?

ध्यान और एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांत बेहद प्रभावी होते हैं। ध्यान से व्यक्ति अपने मानसिक विकारों को दूर करता है और अपनी एकाग्रता को मजबूत करता है। ध्यान के दौरान व्यक्ति अपने विचारों पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करता है, जिससे मानसिक स्थिति स्पष्ट होती है और एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह सफलता की कुंजी है, क्योंकि कोई भी कार्य तब ही सफल हो सकता है जब उस पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किया जाए।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता और आत्म-जागरूकता - कैसे यह आपको बेहतर इंसान बनाती है

भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) और आत्म-जागरूकता (Self-Awareness) के द्वारा हम अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे हम बेहतर इंसान बन सकते हैं। आर्ट ऑफ लिविंग इन दोनों पहलुओं पर जोर देता है, क्योंकि जब हम अपनी भावनाओं को समझते हैं, तो हम अपने जीवन के निर्णयों को बेहतर तरीके से ले सकते हैं।

भावनात्मक बुद्धिमत्ता हमें अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझने में मदद करती है। यह एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो हमें अपने सामाजिक जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। आत्म-जागरूकता हमें यह समझने में मदद करती है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं। यह हमें अपने जीवन के लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करने में मदद करती है।

शिक्षा और करियर में सफलता - विद्यार्थियों और प्रोफेशनल्स के लिए इसके लाभ

आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांतों का पालन करके विद्यार्थियों और प्रोफेशनल्स अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह उन्हें मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और फोकस प्राप्त करने में मदद करता है, जो उनके करियर और शिक्षा में सफलता की कुंजी होते हैं।

विद्यार्थियों के लिए लाभ:

विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में सफलता पाने के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। यह उन्हें मानसिक शांति और फोकस प्रदान करता है।

प्रोफेशनल्स के लिए लाभ:

प्रोफेशनल्स अपने कार्यों में सफलता पाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांतों का पालन करके आत्मविश्वास और उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।
समाज और मानवीय मूल्यों का विकास - करुणा, सेवा और दूसरों की मदद

आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांतों में करुणा और सेवा का भी बहुत महत्व है। यह समाज के विकास में सहायक होते हैं और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देते हैं। करुणा और सेवा से समाज में एकजुटता और सकारात्मकता बढ़ती है। यह हमें दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करती है और समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाती है।
विज्ञान और अध्यात्म का मेल - कैसे आधुनिक विज्ञान भी इसके लाभों को मानता है

आज के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस युग में, जहाँ हर चीज़ का विश्लेषण तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर किया जाता है, वहाँ आध्यात्मिक अभ्यासों के लाभों को आधुनिक विज्ञान ने भी स्वीकार किया है। ध्यान, प्राणायाम और योग जैसी प्राचीन तकनीकों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परीक्षण किया गया है और उनके मानसिक एवं शारीरिक लाभों के स्पष्ट प्रमाण मिल चुके हैं।

विज्ञान और ध्यान:

आधुनिक विज्ञान ने यह साबित किया है कि ध्यान से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार आता है। ध्यान से मस्तिष्क के कार्यशील हिस्से, जैसे कि prefrontal cortex (जो निर्णय लेने और भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है), को सक्रिय किया जाता है। साथ ही यह तनाव को घटाने, शारीरिक दर्द को कम करने, और मानसिक स्थिति को शांत रखने में सहायक है।

योग और शारीरिक लाभ:

विज्ञान ने यह भी सिद्ध किया है कि योग न केवल शारीरिक लचीलापन और ताकत में सुधार करता है, बल्कि यह मानसिक स्थिति को भी सुधारता है। योग से हृदय गति, रक्तदाब, और श्वसन क्रिया में सुधार होता है, और यह शरीर को एक बेहतर संतुलन में लाता है। एकाग्रता और ध्यान की स्थिति शरीर और मस्तिष्क दोनों को लाभ पहुंचाती है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और आत्मसंतुष्टि की भावना उत्पन्न होती है।

प्राणायाम और जीवनशक्ति:

प्राणायाम, जो कि श्वसन तकनीकों का एक समूह है, जीवन शक्ति को बढ़ाने के लिए अत्यधिक प्रभावी है। यह शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि करता है और मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाता है। वैज्ञानिक अध्ययन ने दिखाया है कि प्राणायाम के अभ्यास से मानसिक स्थिति में सुधार होता है, और यह शरीर के भीतर ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है।

व्यक्तिगत अनुभव और केस स्टडी –
सफल व्यक्तियों के उदाहरण और उनकी कहानियां-

सफलता की कोई एक निश्चित परिभाषा नहीं होती, क्योंकि हर व्यक्ति के जीवन में उसकी सफलता का मतलब अलग होता है। आर्ट ऑफ लिविंग और इसके सिद्धांतों को अपनाकर कई व्यक्तियों ने अपने जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन लाए हैं। इन व्यक्तित्वों की कहानियाँ न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि कैसे आध्यात्मिकता, सकारात्मक सोच और ध्यान के माध्यम से जीवन को बदला जा सकता है।

रतन टाटा – व्यापारिक सफलता और मानवीय दृष्टिकोण:

रतन टाटा, जो टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रहे हैं, अपने जीवन में आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांतों का पालन करते रहे हैं। उनका मानना है कि जीवन में सिर्फ भौतिक संपत्ति से अधिक महत्वपूर्ण मानसिक शांति और आत्मिक संतुष्टि है। रतन टाटा ने ध्यान और योग के माध्यम से न केवल अपने व्यापारिक निर्णयों को बेहतर बनाया, बल्कि अपने समाजिक कार्यों में भी उत्कृष्टता प्राप्त की।
उनकी कहानी यह बताती है कि व्यापारिक सफलता और मानवीय मूल्य दोनों को समान महत्व देना चाहिए। उनका कहना है, "सच्ची सफलता तभी मिलती है, जब हम अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनते हैं और दूसरों के लिए कुछ अच्छा करने का अवसर प्राप्त करते हैं।"

सचिन तेंदुलकर – मानसिक दृढ़ता और ध्यान:

भारत के क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने अपनी सफलता के रास्ते में आध्यात्मिक अभ्यास को महत्वपूर्ण माना है। उन्होंने ध्यान और योग का नियमित अभ्यास किया और इसका असर उनके खेल में भी साफ दिखा। सचिन तेंदुलकर के अनुसार, ध्यान और प्राणायाम से उन्हें अपनी एकाग्रता और मनोबल को बनाए रखने में मदद मिली, जो क्रिकेट के मैदान पर उनकी सफलता का कारण बने। सचिन कहते हैं, "मैदान पर हर गेंद और हर शॉट के दौरान, मैंने अपनी पूरी मानसिक ऊर्जा को उस क्षण पर केंद्रित किया। ध्यान ने मुझे यह सिखाया कि हमें अपने मन और शरीर को पूरी तरह से नियंत्रित करना होता है, ताकि हम अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें।"

स्वामी विवेकानंद – आत्मविश्वास और समाज में बदलाव:

स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में ध्यान और योग को मुख्य रूप से आत्म-जागरूकता और समाज सेवा के रूप में देखा। उनका जीवन यह साबित करता है कि आध्यात्मिक साधना और मानसिक दृढ़ता के माध्यम से जीवन के उच्चतम लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। स्वामी विवेकानंद का कहना था, "जब तक एक व्यक्ति अपने भीतर की शक्ति को पहचान नहीं लेता, तब तक वह जीवन के उच्चतम लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकता।"उनकी शिक्षाओं ने न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में एक सामाजिक जागरण पैदा किया। उनका जीवन यह दर्शाता है कि आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच के माध्यम से कोई भी व्यक्ति बड़े से बड़े उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है।

श्री श्री रविशंकर – आर्ट ऑफ लिविंग का प्रभाव:

श्री श्री रविशंकर, "आर्ट ऑफ लिविंग" के संस्थापक, ने ध्यान, योग और प्राणायाम को मानवता की सेवा में एक शक्तिशाली साधन के रूप में प्रस्तुत किया। उनका मानना है कि आध्यात्मिक अभ्यास से व्यक्ति न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।उनकी शिक्षाएँ और अनुभव यह बताते हैं कि जब हम अपने भीतर की ऊर्जा को नियंत्रित करते हैं, तो हम न केवल अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि दूसरों के जीवन में भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। उन्होंने कहा, "आध्यात्मिक साधना और सकारात्मक सोच से हर व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है।"

निष्कर्ष
आर्ट ऑफ लिविंग का पालन करने से हम अपने जीवन को एक उच्च स्तर पर ले जा सकते हैं। यह केवल शारीरिक अभ्यास या मानसिक स्थिति सुधारने का तरीका नहीं है, बल्कि यह एक समग्र जीवन दर्शन है जो हमें जीवन के हर पहलू में संतुलन और शांति प्राप्त करने में मदद करता है। चाहे वह व्यक्तिगत सफलता, समाजिक जिम्मेदारी, व्यापारिक उत्कृष्टता, या आध्यात्मिक जागरण हो, आर्ट ऑफ लिविंग के सिद्धांत हमें जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।आध्यात्मिक अभ्यास, सकारात्मक सोच, ध्यान और योग से हम न केवल मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में सफलता के नए दरवाजे भी खोल सकते हैं। साथ ही, हमने कुछ प्रमुख व्यक्तित्वों के उदाहरण देखे, जिनकी कहानियाँ यह साबित करती हैं कि जीवन में सफलता और शांति का मार्ग आध्यात्मिक साधना और आत्म-संवर्धन से गुजरता है।

अंततः, हमें यह समझना चाहिए कि जब हम अपने भीतर की शक्ति को पहचानते हैं और उसे सही दिशा में उपयोग करते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल से उबर सकते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं। आर्ट ऑफ लिविंग और इसके सिद्धांतों के माध्यम से हम एक सकारात्मक, शांतिपूर्ण और सफल जीवन जी सकते हैं।



                                                          लेखक 

                                                                           Dr. R. P. Singh

रविवार, 26 जनवरी 2025

लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस ऑफलाइन शॉर्ट-टर्म कोर्स में भाग लेकर अपनी शिक्षा और करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं!

"डिजिटल युग में प्रेरणा और शिक्षा: MOOC विकास पर विशेष ऑफलाइन कोर्स"

क्या आप डिजिटल युग में प्रेरणात्मक कौशल और MOOCs (Massive Open Online Courses) के विकास पर महारत हासिल करना चाहते हैं? लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस ऑफलाइन शॉर्ट-टर्म कोर्स में भाग लेकर अपनी शिक्षा और करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं!

डिजिटल युग ने शिक्षा की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है। ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म और MOOCs (Massive Open Online Courses) ने न केवल शिक्षा को अधिक सुलभ बनाया है, बल्कि छात्रों और शिक्षकों को नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं।

इसी दिशा में, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा UGC-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र के तहत एक सप्ताह का विशेष ऑफलाइन कोर्स आयोजित किया जा रहा है। यह कोर्स शिक्षकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को डिजिटल युग में प्रेरणात्मक कौशल विकसित करने और MOOCs के निर्माण के लिए तैयार करता है।

कोर्स का मुख्य उद्देश्य:

1. शिक्षकों को डिजिटल युग के अनुरूप प्रेरणात्मक कौशल प्रदान करना।

2. MOOCs के विकास और उनके प्रभावी उपयोग की गहन समझ।

3. शिक्षा और तकनीक के बीच सेतु का निर्माण।

कोर्स की विशेषताएं:

प्रशिक्षण अवधि: 18 फरवरी 2025 से 24 फरवरी 2025 (एक सप्ताह)।

स्थान: लखनऊ विश्वविद्यालय।

विशेषज्ञ मार्गदर्शन: कोर्स को अनुभवी प्रोफेसरों और शिक्षाविदों द्वारा संचालित किया जाएगा।

आधुनिक दृष्टिकोण: यह कोर्स डिजिटल शिक्षण तकनीकों और प्रेरणात्मक कौशल पर केंद्रित है।

आपको यह कोर्स क्यों करना चाहिए?

1. MOOCs की बढ़ती प्रासंगिकता: आज के समय में MOOCs ने शिक्षा का चेहरा बदल दिया है।

2. करियर ग्रोथ: शिक्षकों और शिक्षाविदों के लिए यह कोर्स उनके कौशल को नई दिशा देगा।

3. नेटवर्किंग: शिक्षकों और विशेषज्ञों के साथ जुड़ने का अवसर।

कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें?

इस कोर्स में शामिल होना बेहद आसान है। बस नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और अपना फॉर्म भरें:

रजिस्ट्रेशन के लिए क्लिक करें  https://mmc.ugc.ac.in/RFS/Index

इस कोर्स में शामिल होकर आप न केवल डिजिटल युग के अनुरूप शिक्षा को समझेंगे बल्कि अपने छात्रों के भविष्य को भी बेहतर बनाएंगे।

तो देर न करें! आज ही रजिस्टर करें और अपनी शिक्षण यात्रा को नया आयाम दें।


शिक्षा की ओर एक कदम, भविष्य की ओर एक छलांग!


शनिवार, 25 जनवरी 2025

प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा सुधार: एकल प्रवेश प्रक्रिया लागू करने का निर्णय


प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा सुधार: एकल प्रवेश प्रक्रिया लागू करने का निर्णय

प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने आगामी शैक्षणिक सत्र से डिग्री कॉलेज और विश्वविद्यालयों में एकल प्रवेश प्रक्रिया लागू करने का ऐलान किया है। इस निर्णय का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और सुगम बनाना है। शुक्रवार को विधानसभा में आयोजित राज्य स्तरीय गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (एसएलक्यूएसी) की पहली बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने यह घोषणा की। बैठक में प्रदेश के उच्च शिक्षा तंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा हुई और नई नीतियों की रूपरेखा तैयार की गई।

बैठक में यह तय हुआ कि प्रदेश में सभी शिक्षण संस्थानों को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए वार्षिक योजना बनानी होगी। इसके तहत नैक मूल्यांकन और एनआईआरएफ रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए संस्थानों को विशेष निर्देश दिए गए। उच्च शिक्षा मंत्री ने सभी शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करने पर जोर दिया। साथ ही, चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के क्रियान्वयन और 2025-26 से राज्य के कॉलेजों के शोध प्रस्तावों को समर्थ पोर्टल के माध्यम से संचालित करने की योजना पर भी चर्चा की गई।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की सिफारिशों के तहत प्रदेश के योग्य महाविद्यालयों को यूजीसी स्वायत्त महाविद्यालय योजना के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया। सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को अपनी वार्षिक गतिविधि योजना, शैक्षणिक कैलेंडर और संस्थागत विकास योजना तैयार कर वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।

बैठक में उच्च शिक्षा के प्रशासनिक सुधारों पर भी ध्यान दिया गया। निदेशक उच्च शिक्षा का कैंप कार्यालय लखनऊ में स्थापित करने का निर्णय लिया गया ताकि उच्च शिक्षा के संचालन में तेजी लाई जा सके। इसके साथ ही, विश्वविद्यालयों की नियुक्ति समितियों में सरकार के प्रतिनिधित्व हेतु एक समिति गठित करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया।

बैठक में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल, विशेष सचिव शिपू गिरि और निदेशक उच्च शिक्षा प्रो. अमित भारद्वाज सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। उच्च शिक्षा मंत्री ने निर्देश दिया कि प्रकोष्ठ की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जाएं ताकि शिक्षा क्षेत्र में सुधार के प्रयासों को और मजबूती दी जा सके।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2025

DDU गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थायी और संविदा पदों पर भर्ती: आपको मिल रहा है सुनहरा अवसर!

"गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थायी और संविदा पदों पर भर्ती: आपको मिल रहा है सुनहरा अवसर!"


"क्या आप शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने का सपना देख रहे हैं? दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय लेकर आया है स्थायी और संविदात्मक पदों पर भर्ती का शानदार मौका! आवेदन की अंतिम तिथि नजदीक है—जानें आवेदन प्रक्रिया और जरूरी विवरण, और बनाएं अपने भविष्य को उज्ज्वल।"


गोरखपुर विश्वविद्यालय में शैक्षणिक अवसर


दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने विभिन्न विभागों और पाठ्यक्रमों में स्थायी और संविदात्मक पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। विश्वविद्यालय की इस पहल के तहत, भारतीय नागरिक जो संबंधित पदों के लिए आवश्यक शैक्षणिक और अन्य योग्यताओं को पूरा करते हैं, आवेदन कर सकते हैं। यह विज्ञापन क्रमांक 01, 02, 04, 06, और 07 के तहत जारी किया गया है। इच्छुक उम्मीदवार आवेदन से संबंधित सभी जानकारी और विवरण विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर प्राप्त कर सकते हैं।

इस भर्ती प्रक्रिया में आचार्य (प्रोफेसर), सह-आचार्य (एसोसिएट प्रोफेसर), और सहायक आचार्य (सहायक प्रोफेसर) जैसे उच्च शैक्षणिक पदों को शामिल किया गया है। इसके अलावा, निदेशक और सहायक आचार्य संविदा आधारित पदों के लिए भी आवेदन मांगे गए हैं। यह प्रक्रिया न केवल योग्य उम्मीदवारों को शैक्षणिक क्षेत्र में योगदान का अवसर प्रदान करती है, बल्कि विश्वविद्यालय को अपने शैक्षणिक ढांचे को और मजबूत करने में मदद करती है।

आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है, जिससे उम्मीदवार आसानी से अपना आवेदन पत्र भर सकते हैं। अंतिम तिथि 28 फरवरी 2025 निर्धारित की गई है, और उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर आवेदन प्रक्रिया को पूरा करें। विस्तृत जानकारी के लिए https://ddugu.ac.in और https://dduqurec.samarth.edu.in पर जाएं। गोरखपुर विश्वविद्यालय की यह पहल शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नये अवसरों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।


INTERNATIONAL WORKSHOP ON RECENT ADVANCES IN RESEARCH TECHNIQUES: VIKSIT BHARAT@2047

INTERNATIONAL WORKSHOP ON RECENT ADVANCES IN RESEARCH TECHNIQUES: VIKSIT BHARAT@2047
इस कार्यशाला का आयोजन उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (UPRTOU), प्रयागराज द्वारा किया जा रहा है, जो अपने उत्कृष्ट शिक्षा और अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध है। यह कार्यशाला निम्नलिखित संस्थानों के सहयोग से आयोजित की जा रही है: 

1. Faculty of Science, SHUATS, प्रयागराज 

2. Nehru Gram Bharati (Deemed to be University), प्रयागराज 

आयोजन का परिचय "Recent Advances in Research Techniques: Viksit Bharat@2047" विषय पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। यह कार्यशाला 3-7 मार्च 2025 के बीच आयोजित होगी। इस कार्यशाला का उद्देश्य शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और छात्रों को अनुसंधान की नवीनतम तकनीकों और उनके उपयोग के बारे में जागरूक करना है।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
  
कार्यशाला के प्रमुख विषय कार्यशाला में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की जाएगी: 
 1. अनुसंधान विधियों में नवीनतम तकनीकी प्रगति
 2. सांख्यिकी और गणित में नवीन अनुप्रयोग 
 3. शिक्षाशास्त्र और अनुसंधान नीतियां 
 4. बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)
 5. भारत के विकास के लिए अनुसंधान का महत्व

महत्वपूर्ण तिथियां: 

पंजीकरण प्रारंभ: 10 जनवरी 2025 

पंजीकरण की अंतिम तिथि: 10 फरवरी 2025

कार्यशाला का आयोजन: 3-7 मार्च 2025

पंजीकरण शुल्क: 

भारतीय और विदेशी प्रतिभागियों के लिए पंजीकरण शुल्क इस प्रकार है:

भारतीय/विदेशप्रतिभागीउद्योग/एनजीओ प्रतिनिधि-3500 INR/60 USD/-

संकाय/शोध विद्वान/ऑफ़लाइन प्रतिभागी-2500 INR/50 USD

संबद्ध संस्थान/ऑनलाइन प्रतिभागी-2000 INR/40 USD

साथ आने वाला व्यक्ति-2000 INR/40 USD

नोट: बाहरी प्रतिभागियों को उनके पूर्व अनुरोध पर साझा आवास प्रदान किया जाएगा।

पंजीकरण फॉर्म लिंक
https://forms.gle/NjoyL7LRGfKMC7ac7

भुगतान प्रक्रिया:

पंजीकरण शुल्क निम्नलिखित विवरण पर जमा किया जा सकता है।

खाता नाम: Finance Officer, UPRTOU Seminar Workshop 

बैंक नाम: Bank of Baroda

खाता संख्या: 70201000007921

IFSC कोड: BARB0VIRTOU 

शाखा: UPRTOU, प्रयागराज

पंजीकरण फॉर्म पंजीकरण फॉर्म भरने के लिए निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें: Registration Form Link 

कार्यशाला का उद्देश्य:

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शोधकर्ताओं और शिक्षकों को अनुसंधान तकनीकों में नवीनतम प्रगति के साथ जोड़ना है। यह उन्हें अपने अध्ययन और अनुसंधान को और अधिक सटीक और प्रभावी बनाने में मदद करेगा।

कार्यक्रम आयोजन समिति

 संरक्षक (Patrons)
 1. प्रो. सत्यकाम (उपकुलपति, UPRTOU) 
 2. प्रो. आर. बी. लाल (उपकुलपति, SHUATS)
 3. प्रो. रोहित रमेश (उपकुलपति, NGBU)

 संयोजक (Convenor)

 प्रो. ए. के. मलिक सह-संयोजक

 (Co-Convenors)

 डॉ. शोभा ठाकुर डॉ. अर्चना शुक्ला समन्वयक

(Coordinators) डॉ. ग्यान प्रकाश यादव डॉ. डी. के. सिंह 

सह-समन्वयक (Co-Coordinators) 

डॉ. डी. के. गुप्ता डॉ. अंजु के. सिंह सचिव

(Secretaries)

डॉ. अभिषेक सिंह डॉ. सतीश

विश्वविद्यालयों का परिचय

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (UPRTOU) 

UPRTOU, प्रयागराज की स्थापना 1999 में हुई थी। यह विश्वविद्यालय शिक्षण, अनुसंधान, और प्रशिक्षण के क्षेत्र में अग्रणी है और पूरे उत्तर प्रदेश राज्य में अपनी सेवाएं प्रदान करता है।

शुआट्स (SHUATS)

1910 में स्थापित, शुआट्स (SHUATS) कृषि और प्रौद्योगिकी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। यह संस्था अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देती है। 

नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय (NGBU)

नेहरू ग्राम भारती (NGBU), प्रयागराज की स्थापना 1962 में हुई थी। यह विश्वविद्यालय ग्रामीण विकास और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करता है।

प्रयागराज का महत्व

प्रयागराज भारत के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है और कुंभ मेले के लिए विश्व प्रसिद्ध है। 



संपर्क सूत्र:- प्रो. ए. के. मलिक (Convenor-Workshop) SOS, UPRTOU, प्रयागराज-211021 ईमेल: iwrat2025@gmail.com फोन: +91 9887585785

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 5,400 से अधिक शैक्षणिक पद रिक्त, आधे से अधिक पद आरक्षित

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 5,400 से अधिक शैक्षणिक पद खाली पड़े हैं, जिनमें से आधे से अधिक पद ओबीसी, एससी और एसटी वर्गों के लिए आरक्षित हैं...