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मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025

UGC-CARE जर्नल लिस्टिंग बंद, नई व्यवस्था पर सुझाव आमंत्रित

UGC-CARE जर्नल लिस्टिंग बंद, नई व्यवस्था पर सुझाव आमंत्रित

नई दिल्ली, 11 फरवरी 2025: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए UGC-CARE सूचीबद्ध जर्नल्स (पत्रिकाओं) की आधिकारिक लिस्टिंग को समाप्त करने का फैसला किया है। यह निर्णय 3 अक्टूबर 2024 को आयोजित 584वीं बैठक में विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया।


क्या है UGC-CARE लिस्ट?

UGC-CARE (Consortium for Academic and Research Ethics) की स्थापना 2018 में की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य शोध की गुणवत्ता बनाए रखना और फर्जी व निम्न स्तर की शोध पत्रिकाओं को रोकना था। इस सूची में उन पत्रिकाओं को शामिल किया जाता था जो शोध प्रकाशन के लिए मान्य और भरोसेमंद मानी जाती थीं।

अब यह लिस्टिंग क्यों बंद की जा रही है?

UGC के अनुसार, शोधकर्ताओं और शिक्षकों के लिए गुणवत्तापूर्ण शोध पत्रिकाओं का चयन करने की प्रक्रिया को अधिक लचीला और स्वायत्त बनाने की जरूरत है। वर्तमान प्रणाली में कई बार शिकायतें आती थीं कि कुछ महत्वपूर्ण जर्नल्स सूची से बाहर हो जाते हैं, जबकि कम गुणवत्ता वाली पत्रिकाएं शामिल रह जाती हैं। इस कारण अब सीधे जर्नल सूची जारी करने की बजाय, कुछ महत्वपूर्ण पैरामीटर (मापदंड) बनाए जा रहे हैं, जिससे शिक्षक और शोधकर्ता स्वयं यह तय कर सकें कि कौन-सी पत्रिका उपयुक्त है।

नए बदलाव का असर क्या होगा?

इस बदलाव का सीधा प्रभाव शोधकर्ताओं, फैकल्टी मेंबर्स और उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) पर पड़ेगा। अब उन्हें शोध पत्रिकाओं के चयन के लिए खुद से जाँच-पड़ताल करनी होगी, लेकिन UGC द्वारा विकसित नए पैरामीटर्स (मानक) इस चयन में मदद करेंगे।

उदाहरण के लिए:

अगर कोई शोधार्थी शिक्षा के क्षेत्र में शोध प्रकाशित करना चाहता है, तो वह पहले यह देखेगा कि पत्रिका कितनी पुरानी है, उसके संपादक कौन हैं, उसमें कितने शोध प्रकाशित हो चुके हैं, और उसका प्रभाव (Impact Factor) कितना है।

यदि पत्रिका एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन समूह से जुड़ी है, तो उसे अधिक विश्वसनीय माना जा सकता है।

यदि पत्रिका Open Access (खुली पहुंच) वाली है या बहुत अधिक शुल्क लेती है, तो शोधार्थी को समझदारी से निर्णय लेना होगा।

क्या UGC ने कोई दिशानिर्देश जारी किए हैं?

हाँ, UGC ने शोध पत्रिकाओं के चयन के लिए नए सुझाव तैयार किए हैं, जिन्हें शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं की राय के लिए सार्वजनिक किया गया है। इच्छुक व्यक्ति 25 फरवरी 2025 तक अपने सुझाव और प्रतिक्रिया journal@ugc.gov.in पर भेज सकते हैं।

निष्कर्ष

इस बदलाव का उद्देश्य शोध प्रकाशन प्रणाली को अधिक पारदर्शी और स्वतंत्र बनाना है। हालांकि, शोधकर्ताओं और छात्रों को अब जर्नल्स की विश्वसनीयता का मूल्यांकन स्वयं करना होगा। यह बदलाव शिक्षाविदों को अधिक जागरूक और शोध की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रेरित करेगा।


यदि आप शोधकर्ता, शिक्षक या छात्र हैं, तो इस बदलाव से संबंधित अपनी राय और सुझाव 25 फरवरी 2025 तक UGC को भेज सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नई प्रणाली अधिक प्रभावी और व्यावहारिक हो।


मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

Scopus Indexed Journal में Research Article कैसे Publish करें?



क्या आप अपना शोधपत्र Scopus में प्रकाशित करना चाहते हैं? जानिए पूरी प्रक्रिया!"

स्कोपस-सूचीबद्ध पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित करना किसी भी शोधकर्ता के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो उनके कार्य की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को दर्शाता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई चरण शामिल हैं, जिनकी समझ और सावधानीपूर्वक पालन आवश्यक है। इस लेख में, हम स्कोपस-सूचीबद्ध लेख के लेखन और प्रकाशन की प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे, साथ ही कुछ भारतीय शोधपत्रों की सूची भी प्रस्तुत करेंगे।

स्कोपस क्या है?

स्कोपस एक प्रमुख सार-संग्रह और उद्धरण डेटाबेस है, जो वैज्ञानिक, तकनीकी, चिकित्सा और सामाजिक विज्ञान सहित विभिन्न विषयों के शोधपत्रों को सूचीबद्ध करता है। यह शोधकर्ताओं को उच्च-गुणवत्ता वाले साहित्य तक पहुंच प्रदान करता है और उनके कार्यों के प्रभाव को मापने में मदद करता है।

स्कोपस-सूचीबद्ध लेख कैसे लिखें?


1. विषय का चयन

सबसे पहले, अपने शोध के लिए एक प्रासंगिक और नवीन विषय का चयन करें। विषय ऐसा होना चाहिए जो वर्तमान शोध में योगदान दे सके और पाठकों के लिए रुचिकर हो।

2. साहित्य समीक्षा

चयनित विषय पर मौजूदा साहित्य की समीक्षा करें। यह आपको विषय की गहन समझ प्रदान करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि आपका शोध अद्वितीय है।

3. शोध पद्धति

अपने शोध के लिए उचित पद्धति का चयन करें। यह मात्रात्मक, गुणात्मक या मिश्रित विधि हो सकती है, जो आपके शोध प्रश्न के अनुसार होनी चाहिए।

4. लेख की संरचना

एक मानक शोधपत्र की संरचना निम्नलिखित होती है:

शीर्षक: संक्षिप्त और स्पष्ट, जो शोध के मुख्य विचार को दर्शाता है।

सारांश (Abstract): शोध का संक्षिप्त विवरण, जिसमें उद्देश्य, पद्धति, परिणाम और निष्कर्ष शामिल हों।

परिचय: शोध की पृष्ठभूमि, उद्देश्य और महत्व का वर्णन।

साहित्य समीक्षा: मौजूदा शोध का विश्लेषण और आपके शोध की आवश्यकता को स्पष्ट करना।

पद्धति: शोध के लिए उपयोग की गई विधियों का विस्तृत विवरण।

परिणाम: शोध के निष्कर्षों की प्रस्तुति।

चर्चा: परिणामों की व्याख्या और उनके महत्व पर चर्चा।

निष्कर्ष: शोध के मुख्य निष्कर्ष और भविष्य के शोध के लिए सुझाव।

संदर्भ: सभी उपयोग किए गए स्रोतों की सूची।

5. लेखन शैली

लेखन स्पष्ट, संक्षिप्त और औपचारिक होना चाहिए। जटिल अवधारणाओं को सरल शब्दों में प्रस्तुत करें और तकनीकी शब्दावली का उचित उपयोग करें।

स्कोपस-सूचीबद्ध पत्रिकाओं में प्रकाशन कैसे करें?

1. उपयुक्त पत्रिका का चयन

अपने शोध के विषय और दायरे के अनुसार स्कोपस-सूचीबद्ध पत्रिका का चयन करें। पत्रिका की पहुंच, प्रभाव कारक (Impact Factor) और लक्षित पाठक वर्ग पर विचार करें।

2. पत्रिका के दिशा-निर्देशों का पालन

प्रत्येक पत्रिका के अपने सबमिशन दिशा-निर्देश होते हैं। इनका ध्यानपूर्वक पालन करें, जिसमें लेख की संरचना, शब्द सीमा, संदर्भ शैली आदि शामिल हैं।

3. लेख की समीक्षा

लेख को जमा करने से पहले, उसे सावधानीपूर्वक समीक्षा करें। वर्तनी, व्याकरण और तथ्यात्मक त्रुटियों को ठीक करें। साथ ही, सहकर्मियों या मेंटर्स से फीडबैक प्राप्त करें।

4. सबमिशन और समीक्षा प्रक्रिया

लेख को चयनित पत्रिका में जमा करें। जमा करने के बाद, लेख एक समीक्षात्मक प्रक्रिया से गुजरता है, जिसे पीयर-रिव्यू कहा जाता है। समीक्षकों की टिप्पणियों के आधार पर आवश्यक संशोधन करें।

5. प्रकाशन

सभी संशोधनों के बाद, यदि लेख स्वीकृत हो जाता है, तो उसे प्रकाशित किया जाता है। प्रकाशन के बाद, अपने शोध को व्यापक रूप से साझा करें और इसके प्रभाव का मूल्यांकन करें।

भारतीय शोधपत्र जो स्कोपस-सूचीबद्ध हैं

भारत में कई प्रतिष्ठित शोधपत्र हैं जो स्कोपस में सूचीबद्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

Current Science: विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में नवीनतम शोध प्रस्तुत करने वाली एक प्रमुख भारतीय पत्रिका।


Indian Journal of Medical Research: चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में उच्च-गुणवत्ता वाले लेख प्रकाशित करने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका।


Journal of the Indian Institute of Science: विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में शोधपत्र प्रस्तुत करने वाली एक प्रमुख पत्रिका।


Pramana – Journal of Physics: भौतिकी के क्षेत्र में शोधपत्रों के लिए समर्पित एक प्रमुख भारतीय पत्रिका।


Sadhana: इंजीनियरिंग विज्ञान में शोधपत्रों के प्रकाशन के लिए प्रसिद्ध पत्रिका।


इन पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के लिए, उनके दिशा-निर्देशों का पालन करना और उच्च-गुणवत्ता का शोध प्रस्तुत करना आवश्यक है।

निष्कर्ष

स्कोपस-सूचीबद्ध पत्रिकाओं में शोधप्रकाशित करना एक कठिन लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह शोधकर्ताओं को वैश्विक स्तर पर अपने कार्य को प्रस्तुत करने और विद्वानों के समुदाय में योगदान देने का अवसर प्रदान करता है।

सारांश और अंतिम सुझाव

गुणवत्ता पर ध्यान दें – केवल नए और मौलिक शोध कार्य को प्रस्तुत करें।

अच्छी पत्रिका चुनें – स्कोपस-सूचीबद्ध पत्रिकाओं की सूची देखें और अपने शोध के अनुरूप सबसे उपयुक्त पत्रिका का चयन करें।

दिशा-निर्देशों का पालन करें – हर पत्रिका की अपनी आवश्यकताएँ होती हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है।

समीक्षा और सुधार करें – किसी भी त्रुटि से बचने के लिए लेख को कई बार संपादित करें और सहकर्मियों से फीडबैक लें।

धैर्य रखें – समीक्षा प्रक्रिया में समय लगता है, लेकिन यह आपके शोध को और बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करता है।


शोध प्रकाशन केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह पूरे अकादमिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है। स्कोपस-सूचीबद्ध लेखन और प्रकाशन की प्रक्रिया कठिन जरूर हो सकती है, लेकिन यदि इसे सही तरीके से किया जाए, तो यह एक अत्यंत पुरस्कृत अनुभव बन सकता है। सही दृष्टिकोण, धैर्य और मेहनत से आप अपने शोध को वैश्विक स्तर पर पहचान दिला सकते हैं।

उम्मीद है कि यह लेख आपको स्कोपस-सूचीबद्ध शोध प्रकाशन की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें!




                                                          लेखक 
                                                     डॉ आर पी सिंह 
                                                 



 

शुक्रवार, 31 जनवरी 2025

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDUGU) की ऐतिहासिक उपलब्धि


शोध और नवाचार में DDUGU की बड़ी छलांग

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDUGU) ने शिक्षा और शोध के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन और कुलपति प्रो. पूनम टंडन के नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने शोध संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। 2020 में मात्र 98 स्कोपस-सूचीबद्ध शोध पत्र प्रकाशित हुए थे, जबकि 2023-2024 में यह संख्या 450 से अधिक हो गई है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि विश्वविद्यालय शोध और नवाचार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।


बौद्धिक संपदा और पेटेंट में उल्लेखनीय वृद्धि


विश्वविद्यालय न केवल शोध प्रकाशनों में बल्कि नवाचार और बौद्धिक संपदा संरक्षण में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है। पिछले शैक्षणिक सत्र में 40 से अधिक पेटेंट फाइल किए गए, और आने वाले महीनों में 50 अतिरिक्त पेटेंट और कॉपीराइट फाइल करने की योजना है। यह विश्वविद्यालय की नवाचार को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता और वैज्ञानिक अनुसंधान में उत्कृष्टता के प्रति उसके समर्पण को दर्शाता है।


MERU योजना से अनुसंधान को मिलेगा नया आयाम


DDUGU को मल्टीडिसिप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (MERU) योजना के तहत ₹100 करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ है। इस अनुदान से विश्वविद्यालय के शोध बुनियादी ढांचे को और सुदृढ़ किया जाएगा, जिससे अनुसंधानकर्ताओं और छात्रों को अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी। इस योजना के तहत विश्वविद्यालय में नए प्रयोगशालाओं, अनुसंधान केंद्रों और शिक्षण संसाधनों का विस्तार किया जाएगा।


राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर DDUGU की बढ़ती प्रतिष्ठा


विश्वविद्यालय की इन उपलब्धियों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा भी मान्यता दी गई है, और इसे 'श्रेणी-1' संस्थान का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके अलावा, DDUGU ने Scimago वर्ल्ड रैंकिंग, QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी एशिया रैंकिंग, वेबोमेट्रिक्स रैंकिंग और NAAC A++ प्रत्यायन में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। इन उपलब्धियों ने विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक प्रतिष्ठित बना दिया है।


नेचर इंडेक्स रैंकिंग में DDUGU की मजबूत उपस्थिति


DDUGU के लिए एक और ऐतिहासिक उपलब्धि प्रतिष्ठित 'नेचर इंडेक्स' रैंकिंग में शामिल होना है, जो प्राकृतिक विज्ञानों में उच्च गुणवत्ता वाले शोध कार्यों को मान्यता देता है। 1 नवंबर 2023 से 31 अक्टूबर 2024 की अवधि के लिए, विश्वविद्यालय ने भारत के शीर्ष 100 उच्च शिक्षण संस्थानों (HEIs) में स्थान प्राप्त किया है। इस अवधि में विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा नेचर इंडेक्स जर्नल में तीन शोध पत्र प्रकाशित किए गए – दो रसायन विज्ञान और एक भौतिकी विज्ञान में।


DDUGU की नेचर इंडेक्स रैंकिंग (1 नवंबर 2023 - 31 अक्टूबर 2024)


कुल HEIs रैंकिंग: 364 उच्च शिक्षण संस्थानों में 100वां स्थान, जबकि विश्वविद्यालयों में 34वां स्थान।


रसायन विज्ञान श्रेणी: 156 उच्च शिक्षण संस्थानों में 79वां स्थान, जबकि विश्वविद्यालयों में 30वां स्थान।


प्राकृतिक विज्ञान जर्नल समूह: 285 HEIs में 102वां स्थान और विश्वविद्यालयों में 34वां स्थान।


भौतिकी विज्ञान जर्नल समूह: 151 HEIs में 93वां स्थान और विश्वविद्यालयों में 45वां स्थान।



कुलपति प्रो. पूनम टंडन की प्रतिक्रिया


DDUGU की इस सफलता पर कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने गर्व व्यक्त किया और माननीया कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। उन्होंने कहा, "यह उपलब्धि हमारे संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और छात्रों की कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम है। माननीया कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी के प्रेरणादायक नेतृत्व और सतत मार्गदर्शन ने हमें शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया है। उनका सहयोग और मार्गदर्शन हमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचने की ऊर्जा देता है।"


DDUGU का भविष्य और अनुसंधान की दिशा में नए प्रयास


इन ऐतिहासिक उपलब्धियों के साथ, DDUGU उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है। शोध, नवाचार और अकादमिक उत्कृष्टता को और अधिक मजबूती देने के लिए विश्वविद्यालय नए प्रोजेक्ट्स, उच्चस्तरीय अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की संभावनाओं पर काम कर रहा है।


DDUGU की यह सफलता यह साबित करती है कि यदि संकल्प, समर्पण और सही नेतृत्व मिले, तो किसी भी संस्थान को विश्व स्तरीय बनाया जा सकता है। यह विश्वविद्यालय शोध और शिक्षा के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित कर रहा है और आने वाले वर्षों में और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल करने की ओर अग्रसर है।


बुधवार, 29 जनवरी 2025

हैदराबाद विश्वविद्यालय में फैकल्टी पदों के लिए भर्ती अधिसूचना 2025


हैदराबाद विश्वविद्यालय में शैक्षणिक पदों के   लिए बम्पर भर्ती

 

हैदराबाद विश्वविद्यालय, जो कि एक प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालय है और जिसे 1974 में संसद के एक अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था, ने विभिन्न फैकल्टी (शिक्षण) पदों के लिए भर्ती अधिसूचना जारी की है। यह भर्ती प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए है, और इसमें कुल 40 पद उपलब्ध हैं।
भर्ती प्रक्रिया और महत्वपूर्ण तिथियां

अधिसूचना जारी होने की तिथि: 20 जनवरी 2025

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 20 फरवरी 2025, शाम 5:30 बजे

हार्डकॉपी जमा करने की अंतिम तिथि: 24 फरवरी 2025

आवेदन प्रक्रिया

इच्छुक उम्मीदवारों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र और अन्य जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक देखें:

अधिसूचना एवं अपडेट के लिए वेबसाइट: https://uohyd.ac.in/carees-uoh/

ऑनलाइन आवेदन लिंक: https://curec.samarth.ac.in

डाक द्वारा आवेदन भेजने का पता

सहायक रजिस्ट्रार,

भर्ती प्रकोष्ठ, कमरा संख्या 221, प्रथम तल,

प्रशासन भवन, हैदराबाद विश्वविद्यालय,

प्रो. सी.आर. राव रोड, गाचीबोवली, हैदराबाद - 500 046, तेलंगाना, भारत।

(नोट: आवेदन की हार्डकॉपी व्यक्तिगत रूप से जमा नहीं की जा सकती, इसे केवल डाक/कूरियर के माध्यम से भेजा जा सकता है।)

महत्वपूर्ण निर्देश

1. यह भर्ती केवल भारतीय नागरिकों और OCI (Overseas Citizens of India) के लिए खुली है।

2. चयन प्रक्रिया प्रत्यक्ष भर्ती (Direct Recruitment) के माध्यम से होगी।

3. उम्मीदवारों को सभी आवश्यक दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों को अपलोड करना होगा एवं हार्डकॉपी नियत समय में भेजनी होगी।

हैदराबाद विश्वविद्यालय में शिक्षण पदों के लिए यह एक शानदार अवसर है। यदि आप शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं, तो समय रहते आवेदन करें और अपनी योग्यता के अनुसार सही पद के लिए आवेदन करने का मौका न गंवाएं।

अधिक जानकारी के लिए विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: https://uohyd.ac.in


रविवार, 26 जनवरी 2025

लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस ऑफलाइन शॉर्ट-टर्म कोर्स में भाग लेकर अपनी शिक्षा और करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं!

"डिजिटल युग में प्रेरणा और शिक्षा: MOOC विकास पर विशेष ऑफलाइन कोर्स"

क्या आप डिजिटल युग में प्रेरणात्मक कौशल और MOOCs (Massive Open Online Courses) के विकास पर महारत हासिल करना चाहते हैं? लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस ऑफलाइन शॉर्ट-टर्म कोर्स में भाग लेकर अपनी शिक्षा और करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं!

डिजिटल युग ने शिक्षा की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है। ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म और MOOCs (Massive Open Online Courses) ने न केवल शिक्षा को अधिक सुलभ बनाया है, बल्कि छात्रों और शिक्षकों को नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं।

इसी दिशा में, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा UGC-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र के तहत एक सप्ताह का विशेष ऑफलाइन कोर्स आयोजित किया जा रहा है। यह कोर्स शिक्षकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को डिजिटल युग में प्रेरणात्मक कौशल विकसित करने और MOOCs के निर्माण के लिए तैयार करता है।

कोर्स का मुख्य उद्देश्य:

1. शिक्षकों को डिजिटल युग के अनुरूप प्रेरणात्मक कौशल प्रदान करना।

2. MOOCs के विकास और उनके प्रभावी उपयोग की गहन समझ।

3. शिक्षा और तकनीक के बीच सेतु का निर्माण।

कोर्स की विशेषताएं:

प्रशिक्षण अवधि: 18 फरवरी 2025 से 24 फरवरी 2025 (एक सप्ताह)।

स्थान: लखनऊ विश्वविद्यालय।

विशेषज्ञ मार्गदर्शन: कोर्स को अनुभवी प्रोफेसरों और शिक्षाविदों द्वारा संचालित किया जाएगा।

आधुनिक दृष्टिकोण: यह कोर्स डिजिटल शिक्षण तकनीकों और प्रेरणात्मक कौशल पर केंद्रित है।

आपको यह कोर्स क्यों करना चाहिए?

1. MOOCs की बढ़ती प्रासंगिकता: आज के समय में MOOCs ने शिक्षा का चेहरा बदल दिया है।

2. करियर ग्रोथ: शिक्षकों और शिक्षाविदों के लिए यह कोर्स उनके कौशल को नई दिशा देगा।

3. नेटवर्किंग: शिक्षकों और विशेषज्ञों के साथ जुड़ने का अवसर।

कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें?

इस कोर्स में शामिल होना बेहद आसान है। बस नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और अपना फॉर्म भरें:

रजिस्ट्रेशन के लिए क्लिक करें  https://mmc.ugc.ac.in/RFS/Index

इस कोर्स में शामिल होकर आप न केवल डिजिटल युग के अनुरूप शिक्षा को समझेंगे बल्कि अपने छात्रों के भविष्य को भी बेहतर बनाएंगे।

तो देर न करें! आज ही रजिस्टर करें और अपनी शिक्षण यात्रा को नया आयाम दें।


शिक्षा की ओर एक कदम, भविष्य की ओर एक छलांग!


शुक्रवार, 24 जनवरी 2025

DDU गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थायी और संविदा पदों पर भर्ती: आपको मिल रहा है सुनहरा अवसर!

"गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थायी और संविदा पदों पर भर्ती: आपको मिल रहा है सुनहरा अवसर!"


"क्या आप शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने का सपना देख रहे हैं? दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय लेकर आया है स्थायी और संविदात्मक पदों पर भर्ती का शानदार मौका! आवेदन की अंतिम तिथि नजदीक है—जानें आवेदन प्रक्रिया और जरूरी विवरण, और बनाएं अपने भविष्य को उज्ज्वल।"


गोरखपुर विश्वविद्यालय में शैक्षणिक अवसर


दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने विभिन्न विभागों और पाठ्यक्रमों में स्थायी और संविदात्मक पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। विश्वविद्यालय की इस पहल के तहत, भारतीय नागरिक जो संबंधित पदों के लिए आवश्यक शैक्षणिक और अन्य योग्यताओं को पूरा करते हैं, आवेदन कर सकते हैं। यह विज्ञापन क्रमांक 01, 02, 04, 06, और 07 के तहत जारी किया गया है। इच्छुक उम्मीदवार आवेदन से संबंधित सभी जानकारी और विवरण विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर प्राप्त कर सकते हैं।

इस भर्ती प्रक्रिया में आचार्य (प्रोफेसर), सह-आचार्य (एसोसिएट प्रोफेसर), और सहायक आचार्य (सहायक प्रोफेसर) जैसे उच्च शैक्षणिक पदों को शामिल किया गया है। इसके अलावा, निदेशक और सहायक आचार्य संविदा आधारित पदों के लिए भी आवेदन मांगे गए हैं। यह प्रक्रिया न केवल योग्य उम्मीदवारों को शैक्षणिक क्षेत्र में योगदान का अवसर प्रदान करती है, बल्कि विश्वविद्यालय को अपने शैक्षणिक ढांचे को और मजबूत करने में मदद करती है।

आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है, जिससे उम्मीदवार आसानी से अपना आवेदन पत्र भर सकते हैं। अंतिम तिथि 28 फरवरी 2025 निर्धारित की गई है, और उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर आवेदन प्रक्रिया को पूरा करें। विस्तृत जानकारी के लिए https://ddugu.ac.in और https://dduqurec.samarth.edu.in पर जाएं। गोरखपुर विश्वविद्यालय की यह पहल शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नये अवसरों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।


INTERNATIONAL WORKSHOP ON RECENT ADVANCES IN RESEARCH TECHNIQUES: VIKSIT BHARAT@2047

INTERNATIONAL WORKSHOP ON RECENT ADVANCES IN RESEARCH TECHNIQUES: VIKSIT BHARAT@2047
इस कार्यशाला का आयोजन उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (UPRTOU), प्रयागराज द्वारा किया जा रहा है, जो अपने उत्कृष्ट शिक्षा और अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध है। यह कार्यशाला निम्नलिखित संस्थानों के सहयोग से आयोजित की जा रही है: 

1. Faculty of Science, SHUATS, प्रयागराज 

2. Nehru Gram Bharati (Deemed to be University), प्रयागराज 

आयोजन का परिचय "Recent Advances in Research Techniques: Viksit Bharat@2047" विषय पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। यह कार्यशाला 3-7 मार्च 2025 के बीच आयोजित होगी। इस कार्यशाला का उद्देश्य शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और छात्रों को अनुसंधान की नवीनतम तकनीकों और उनके उपयोग के बारे में जागरूक करना है।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
  
कार्यशाला के प्रमुख विषय कार्यशाला में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की जाएगी: 
 1. अनुसंधान विधियों में नवीनतम तकनीकी प्रगति
 2. सांख्यिकी और गणित में नवीन अनुप्रयोग 
 3. शिक्षाशास्त्र और अनुसंधान नीतियां 
 4. बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)
 5. भारत के विकास के लिए अनुसंधान का महत्व

महत्वपूर्ण तिथियां: 

पंजीकरण प्रारंभ: 10 जनवरी 2025 

पंजीकरण की अंतिम तिथि: 10 फरवरी 2025

कार्यशाला का आयोजन: 3-7 मार्च 2025

पंजीकरण शुल्क: 

भारतीय और विदेशी प्रतिभागियों के लिए पंजीकरण शुल्क इस प्रकार है:

भारतीय/विदेशप्रतिभागीउद्योग/एनजीओ प्रतिनिधि-3500 INR/60 USD/-

संकाय/शोध विद्वान/ऑफ़लाइन प्रतिभागी-2500 INR/50 USD

संबद्ध संस्थान/ऑनलाइन प्रतिभागी-2000 INR/40 USD

साथ आने वाला व्यक्ति-2000 INR/40 USD

नोट: बाहरी प्रतिभागियों को उनके पूर्व अनुरोध पर साझा आवास प्रदान किया जाएगा।

पंजीकरण फॉर्म लिंक
https://forms.gle/NjoyL7LRGfKMC7ac7

भुगतान प्रक्रिया:

पंजीकरण शुल्क निम्नलिखित विवरण पर जमा किया जा सकता है।

खाता नाम: Finance Officer, UPRTOU Seminar Workshop 

बैंक नाम: Bank of Baroda

खाता संख्या: 70201000007921

IFSC कोड: BARB0VIRTOU 

शाखा: UPRTOU, प्रयागराज

पंजीकरण फॉर्म पंजीकरण फॉर्म भरने के लिए निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें: Registration Form Link 

कार्यशाला का उद्देश्य:

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शोधकर्ताओं और शिक्षकों को अनुसंधान तकनीकों में नवीनतम प्रगति के साथ जोड़ना है। यह उन्हें अपने अध्ययन और अनुसंधान को और अधिक सटीक और प्रभावी बनाने में मदद करेगा।

कार्यक्रम आयोजन समिति

 संरक्षक (Patrons)
 1. प्रो. सत्यकाम (उपकुलपति, UPRTOU) 
 2. प्रो. आर. बी. लाल (उपकुलपति, SHUATS)
 3. प्रो. रोहित रमेश (उपकुलपति, NGBU)

 संयोजक (Convenor)

 प्रो. ए. के. मलिक सह-संयोजक

 (Co-Convenors)

 डॉ. शोभा ठाकुर डॉ. अर्चना शुक्ला समन्वयक

(Coordinators) डॉ. ग्यान प्रकाश यादव डॉ. डी. के. सिंह 

सह-समन्वयक (Co-Coordinators) 

डॉ. डी. के. गुप्ता डॉ. अंजु के. सिंह सचिव

(Secretaries)

डॉ. अभिषेक सिंह डॉ. सतीश

विश्वविद्यालयों का परिचय

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (UPRTOU) 

UPRTOU, प्रयागराज की स्थापना 1999 में हुई थी। यह विश्वविद्यालय शिक्षण, अनुसंधान, और प्रशिक्षण के क्षेत्र में अग्रणी है और पूरे उत्तर प्रदेश राज्य में अपनी सेवाएं प्रदान करता है।

शुआट्स (SHUATS)

1910 में स्थापित, शुआट्स (SHUATS) कृषि और प्रौद्योगिकी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। यह संस्था अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देती है। 

नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय (NGBU)

नेहरू ग्राम भारती (NGBU), प्रयागराज की स्थापना 1962 में हुई थी। यह विश्वविद्यालय ग्रामीण विकास और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करता है।

प्रयागराज का महत्व

प्रयागराज भारत के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है और कुंभ मेले के लिए विश्व प्रसिद्ध है। 



संपर्क सूत्र:- प्रो. ए. के. मलिक (Convenor-Workshop) SOS, UPRTOU, प्रयागराज-211021 ईमेल: iwrat2025@gmail.com फोन: +91 9887585785

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 5,400 से अधिक शैक्षणिक पद रिक्त, आधे से अधिक पद आरक्षित

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 5,400 से अधिक शैक्षणिक पद खाली पड़े हैं, जिनमें से आधे से अधिक पद ओबीसी, एससी और एसटी वर्गों के लिए आरक्षित हैं...