UGC-CARE जर्नल लिस्टिंग बंद, नई व्यवस्था पर सुझाव आमंत्रित
नई दिल्ली, 11 फरवरी 2025: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए UGC-CARE सूचीबद्ध जर्नल्स (पत्रिकाओं) की आधिकारिक लिस्टिंग को समाप्त करने का फैसला किया है। यह निर्णय 3 अक्टूबर 2024 को आयोजित 584वीं बैठक में विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया।
क्या है UGC-CARE लिस्ट?
UGC-CARE (Consortium for Academic and Research Ethics) की स्थापना 2018 में की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य शोध की गुणवत्ता बनाए रखना और फर्जी व निम्न स्तर की शोध पत्रिकाओं को रोकना था। इस सूची में उन पत्रिकाओं को शामिल किया जाता था जो शोध प्रकाशन के लिए मान्य और भरोसेमंद मानी जाती थीं।
अब यह लिस्टिंग क्यों बंद की जा रही है?
UGC के अनुसार, शोधकर्ताओं और शिक्षकों के लिए गुणवत्तापूर्ण शोध पत्रिकाओं का चयन करने की प्रक्रिया को अधिक लचीला और स्वायत्त बनाने की जरूरत है। वर्तमान प्रणाली में कई बार शिकायतें आती थीं कि कुछ महत्वपूर्ण जर्नल्स सूची से बाहर हो जाते हैं, जबकि कम गुणवत्ता वाली पत्रिकाएं शामिल रह जाती हैं। इस कारण अब सीधे जर्नल सूची जारी करने की बजाय, कुछ महत्वपूर्ण पैरामीटर (मापदंड) बनाए जा रहे हैं, जिससे शिक्षक और शोधकर्ता स्वयं यह तय कर सकें कि कौन-सी पत्रिका उपयुक्त है।
नए बदलाव का असर क्या होगा?
इस बदलाव का सीधा प्रभाव शोधकर्ताओं, फैकल्टी मेंबर्स और उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) पर पड़ेगा। अब उन्हें शोध पत्रिकाओं के चयन के लिए खुद से जाँच-पड़ताल करनी होगी, लेकिन UGC द्वारा विकसित नए पैरामीटर्स (मानक) इस चयन में मदद करेंगे।
उदाहरण के लिए:
अगर कोई शोधार्थी शिक्षा के क्षेत्र में शोध प्रकाशित करना चाहता है, तो वह पहले यह देखेगा कि पत्रिका कितनी पुरानी है, उसके संपादक कौन हैं, उसमें कितने शोध प्रकाशित हो चुके हैं, और उसका प्रभाव (Impact Factor) कितना है।
यदि पत्रिका एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन समूह से जुड़ी है, तो उसे अधिक विश्वसनीय माना जा सकता है।
यदि पत्रिका Open Access (खुली पहुंच) वाली है या बहुत अधिक शुल्क लेती है, तो शोधार्थी को समझदारी से निर्णय लेना होगा।
क्या UGC ने कोई दिशानिर्देश जारी किए हैं?
हाँ, UGC ने शोध पत्रिकाओं के चयन के लिए नए सुझाव तैयार किए हैं, जिन्हें शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं की राय के लिए सार्वजनिक किया गया है। इच्छुक व्यक्ति 25 फरवरी 2025 तक अपने सुझाव और प्रतिक्रिया journal@ugc.gov.in पर भेज सकते हैं।
निष्कर्ष
इस बदलाव का उद्देश्य शोध प्रकाशन प्रणाली को अधिक पारदर्शी और स्वतंत्र बनाना है। हालांकि, शोधकर्ताओं और छात्रों को अब जर्नल्स की विश्वसनीयता का मूल्यांकन स्वयं करना होगा। यह बदलाव शिक्षाविदों को अधिक जागरूक और शोध की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रेरित करेगा।
यदि आप शोधकर्ता, शिक्षक या छात्र हैं, तो इस बदलाव से संबंधित अपनी राय और सुझाव 25 फरवरी 2025 तक UGC को भेज सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नई प्रणाली अधिक प्रभावी और व्यावहारिक हो।